वाशिंगटन:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने सोमवार को ईरान पर दोनों अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के अभियानों के खिलाफ साइबर अभियान शुरू करने और राजनीतिक मतभेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अमेरिकी जनता को प्रभावित करने के लिए निशाना बनाने का आरोप लगाया।
एफबीआई, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय तथा साइबर सुरक्षा एवं अवसंरचना सुरक्षा एजेंसी (जो सरकारी कंप्यूटर प्रणालियों की सुरक्षा की देखरेख करती है) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “हमने इस चुनाव चक्र के दौरान ईरान की आक्रामक गतिविधि में वृद्धि देखी है।”
बयान ने इस महीने की शुरुआत में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि की कि ईरान ने उनकी एक वेबसाइट को हैक कर लिया था, जिसके बाद एफबीआई जांच शुरू हो गई थी।
उस समय ट्रम्प ने कहा था कि ईरान “केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी ही प्राप्त कर सकता है।”
अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के अभियान को भी निशाना बनाया है, जिन्हें इस सप्ताह के सम्मेलन में आधिकारिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के नामांकन को स्वीकार करना है।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने एक बयान जारी कर आरोपों को “निराधार और आधारहीन” बताया। जैसा कि हमने पहले घोषणा की थी, इस्लामी गणतंत्र ईरान का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का न तो इरादा है और न ही मकसद है।
अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान ने राजनीतिक विभाजन को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी जनता को निशाना बनाकर प्रभावशाली अभियान चलाए हैं और “राष्ट्रपति चुनाव अभियानों को निशाना बनाकर साइबर अभियान चलाए हैं।”
इसमें आगे कहा गया, “इसमें पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के अभियान को प्रभावित करने के लिए हाल ही में रिपोर्ट की गई गतिविधियां भी शामिल हैं, जिसका श्रेय आईसी (खुफिया समुदाय) ईरान को देता है।”
बयान में कहा गया है कि खुफिया समुदाय को विश्वास है कि ईरानी एजेंट सोशल इंजीनियरिंग और अन्य साधनों का उपयोग करके “दोनों पार्टियों के राष्ट्रपति अभियानों तक सीधी पहुंच रखने वाले व्यक्तियों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे थे।”
बयान में कहा गया कि इन गतिविधियों में चोरी और खुलासे शामिल हैं जिनका उद्देश्य “अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करना था”, लेकिन विस्तार से नहीं बताया गया।