एक चीनी जीवाश्म अनुसंधान दल ने टायरानोसॉर की एक नई प्रजाति की पहचान की है जो लगभग 72 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व, क्रिटेशियस काल के अंत में रहती थी।
झेजियांग प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के शोधकर्ताओं ने डायनासोर पर शोध करने वाले चीनी वैज्ञानिक शू जिंग के सम्मान में डायनासोर का नाम “एशियाटिरानस शूई” रखा।
संग्रहालय के एक शोधकर्ता झेंग वेन्जी के अनुसार, जीवाश्म नमूने में लगभग पूरी खोपड़ी, पूंछ की कशेरुकाएं और पिछले पैरों की हड्डियां शामिल हैं, जो दक्षिण-पूर्वी चीन में खोजे गए पहले गहरे थूथन वाले टायरानोसॉर का संकेत देते हैं।
ऊतकवैज्ञानिक विश्लेषण से पता चला कि एशियाटिरानस ज़ुई का होलोटाइप पूर्णतः परिपक्व वयस्क नहीं था, अपितु वह अपनी सबसे तीव्र वृद्धि अवस्थाओं से गुजर चुका था।
झेंग ने बताया कि खोपड़ी की लंबाई 47.5 सेंटीमीटर है, तथा शरीर की लंबाई कियानझोउसॉरस की लगभग आधी है, जिसके समान विकास चरणों में लगभग नौ मीटर तक पहुंचने का अनुमान है।
सबसे पहले टायरानोसॉर मध्य जुरासिक में लगभग 165 मिलियन वर्ष पहले दिखाई दिए थे। वे एशिया और उत्तरी अमेरिका में क्रेटेशियस के अंतिम 20 मिलियन वर्षों के दौरान अपने-अपने पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी बन गए।
ये निष्कर्ष हाल ही में साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित किये गये।